सुबह उठता हूँ तो ऐसा लगता है कि माँ चोद दूँ दुनिया की और रात

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सुबह उठता हूँ तो ऐसा लगता है कि माँ चोद दूँ दुनिया की और रात होते-होते ऐसा लगता है कि माँ चुदाये दुनिया!
बस ये दोनों अनुभूतियों के बीच के समय में जो अपनी गाँड मरती है उसी का नाम, ज़िंदगी है!

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